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जांजगीर-चांपा। गौरव ग्राम सिवनी नैला पंचायत में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का छठा दिन भक्तिभाव और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर रहा। मुख्य आयोजक रामनारायण वस्त्रकार और सुनीता वस्त्रकार ने श्रद्धालुओं के लिए बेहतरीन प्रबंध किए।
कथा वाचक ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, पूतना वध, गोवर्धन पर्वत उठाने और महारास लीला का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने माखन चोरी की लीला को अहंकार के त्याग का प्रतीक बताया, जबकि पूतना वध के प्रसंग में भगवान की दिव्य शक्ति और नकारात्मक प्रवृत्तियों पर विजय का संदेश दिया।
गोवर्धन पर्वत की लीला और महारास का महत्व – गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा सुनाते हुए वाचक ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा छोड़कर आत्मनिर्भरता और प्रकृति पूजन का संदेश दिया। महारास लीला के दौरान भगवान की बांसुरी और गोपियों के साथ उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। वाचक ने महारास को भागवत कथा का प्राण बताते हुए इसे भक्ति और जीवन के लिए प्रेरणादायक बताया।
श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का भावुक प्रसंग – कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग भी सुनाया गया। वाचक ने रुक्मिणी के अद्वितीय प्रेम और समर्पण का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को पत्र लिखकर अपना पति बनाने की विनती की। भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी पुकार सुनकर विवाह मंडप से रुक्मिणी का हरण किया और उनसे विवाह कर उनके प्रेम को अमर किया। यह प्रसंग प्रेम, समर्पण और सच्चे विश्वास का प्रतीक बताया गया।
भव्य आयोजन और श्रद्धालुओं की भागीदारी – आयोजकों ने श्रद्धालुओं के लिए बैठने, भोजन और अन्य सुविधाओं का समुचित ध्यान रखा। सुबह से ही कथा स्थल पर भक्तों की भीड़ जुटने लगी थी, जो देर रात तक भगवान की लीलाओं का आनंद लेती रही। स्थानीय निवासियों के साथ आस-पास के गांवों के श्रद्धालुओं ने भी इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
आयोजन के समापन पर भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा। आयोजक रामनारायण और सुनीता वस्त्रकार ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपनी ओर से पूरी मेहनत की, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा और आनंद प्राप्त हो सके।