छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा

मानसिक स्वास्थ्य एक सार्वभौमिक अधिकार हैं – डॉ. इंदु साधवानी …

@ डॉ. इंदु साधवानी, सदस्य किशोर न्याय बोर्ड

मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता हर उम्र के व्यक्तियों के लिए अति आवश्यक है. विश्व मानसिक स्वस्थ्य संस्था की इस वर्ष की मानसिक स्वास्थ्य थीम “मानसिक स्वास्थ्य एक सार्वभौमिक अधिकार है.” रखी गयी है. इससे पता चलता है कि मानसिक स्वस्थ्य हर एक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, चाहे वह किसी भी उम्र, सामाजिक आर्थिक स्तर का व्यक्ति हो. हम अधिकांश निर्णय अपने मन के वशीभूत होकर ही लेते हैं. इसमें हमारी पसंद, नापसंद, प्राथमिकताएं, द्वंद्व, प्रसन्नता, चिंता, वर्तमान परिदृश्य या हमारी वर्तमान स्थिति ये सभी कारक अपनी भूमिका अदा करते हैं. परन्तु क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है, कि आपके द्वारा दुःख, क्रोध, चिंता या डर में लिए गए निर्णय सामान्य या प्रसन्न मानसिक स्थिति में लिए गए निर्णयों से भिन्न होते हैं? उदाहरण के लिए यदि आप किसी साक्षात्कार में भाग लेने जा रहे हैं, किन्तु आपने तैयारी पर अधिक समय नहीं दिया, जिसके कारण आपमें उत्साह की भी कमी है, और आप अपने साक्षात्कार में जाने से पहले डर और द्वंद्व में हैं, ऐसे में यदि ये मनोभाव आपके ऊपर हावी हो गए तो यह भी हो सकता है कि आप साक्षात्कार में भाग लेने के निर्णय को ही बदल दें किन्तु यदि आप मानसिक रूप से सुदृढ़ हैं तब आपमें स्वयं के प्रति विशवास का भाव पैदा होगा जो आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा. यहाँ यह भी समझना आवश्यक है की सुदृढ़ मानसिक स्थिति वाले लोग भी कई ब़ार कमज़ोर पड़ जाते हैं, ऐसे में उन्हें अपनी मानसिक ऊर्जा समेट कर खुद को सकारात्मक नजरिया देने का प्रयास करना होगा है, खुद क़ा खुद पर भरोसा विकसित करने के लिए अपनी समस्त शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को समेट कर आगे बढना होता है. इसलिए ही मानसिक स्वस्थ्य एक ऐसा क्षेत्र है जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अहम् भूमिका निभाता है।आज की इस भागमभाग वाली ज़िन्दगी में लोगों के पास खुद का काम समय पर करने के लिए भी कई ब़ार समय क़ा अभाव हो जाता है, जिससे कार्यकौशल प्रभावित होता है. क्योंकि अधिकांश लोग अपना समय मोबाईल को देते हैं जिससे सबसे बड़ा नुक्सान यह होता है, कि लोग अपने ही घर में या बाहर न किसी की सुनते हैं और न किसी से अधिक वार्तालाप करते हैं, यह कमी संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करती है, लोगों के द्वारा बातचीत के लिए तैयार न होने का परिणाम यह निकलता है कि लोग अपने मन में ही अन्य व्यक्ति के विरुद्ध तरह तरह के पूर्वाग्रह विकसित कर लेते हैं जिससे उनके सम्बन्ध बुरे तरीके से प्रभावित होते हैं. उदाहरण के लिए यदि परिवार में कोई व्यक्ति बहुत बोलता हो तब वह सहसा लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है, बजाय उस व्यक्ति के जो कम बोलता हो. तब कम बोलता व्यक्ति कम बुलाया जायेगा, किसी काम के लिए खासकर वहीं जहां वाक् कौशल की आवश्यकता हो, या अन्य कार्य भी, तब ऐसे में कम बोलने वाला व्यक्ति अपने मन में यह पूर्वाग्रह विकसित कर सकता है, कि मेरी किसी को कोई ज़रुरत ही नही मुझे कोई कुछ बताता ही नहीं… मैं वहाँ जाकर क्या करूंगा आदि आदि।
दैनिक जीवन में व्यक्ति ऐसी ही अनेकानेक परिस्थितियों से दो चार होता है, जहां उसका मन विचलित होता है, और यदि समय पर ध्यान न दिया जाये तो यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है
ऐसे ही बच्चे आजकल बहुत सारी मानसिक समस्याओं क़ा शिकार हो रहे हैं, जिसके प्रमुख कारणों में हैं सकारात्मक पारिवारिक माहौल न मिलना. याद रखें हर बच्चा विशेष है, हर एक की मानसिक स्वास्थ्य ज़रुरत अलग हो सकती है, अपने बच्चे को प्यारभरा और सहयोगी वातावरण दें, जिसमें वे अपनी संवेदनाओं को व्यक्त कर सकें और प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर परिणाम दे सकें।

Related Articles