छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा

शुभांशु मिश्रा ने जीवित रहते हुए किया देहदान का संकल्प , कहा मेडिकल छात्रों के हित में लिया फैसला …

🔴 अब तक 52 बार रक्तदान भी कऱ चुके है
परिवार मे है ख़ुशी का माहौल,समाजसेवी संस्था नन्ही जान फाउंडेशन के संचालक है शुभांशु मिश्रा।

WhatsApp Image 2025 10 13 at 10.02.11 Console Corptech WhatsApp Image 2025 10 30 at 13.20.49 Console Corptech

जांजगीर-चांपा। आपने दान के बारे में सुना होगा, कोई आर्थिक दान देता है तो कोई अन्न दान करता है. यही नहीं लोग शरीर के अंग और शरीर को भी दान करते हैं. जिस व्यक्ति की हम बात कर रहे हैं उन्होंने अपना शरीर दान कर दिया है।मानवता के लिए शरीर दान करना इंसान के लिए सब से बड़ा पुण्य है. ऐसा ही पुण्य के भागी बने हैं पेशे से प्राइवेट स्कुल के शिक्षक और समाजसेवी संस्था नन्ही जान फाउंडेशन के संचालक शुभांशु मिश्रा ने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का संकल्प लिया है. मिश्रा ग्राम पंचायत सिवनी नैला के रहने वाले हैं. इन्होंने सिम्स हॉस्पिटल बिलासपुर जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया है।

WhatsApp Image 2025 10 30 at 13.24.20 Console Corptech

जानकारी के अनुसार, शुभांशु मिश्रा नन्ही जान फाउंडेशन के संचालक है और शिक्षक है इन्होंने स्वयं देहदान का निर्णय लिया. मिश्रा ने कहा कि हमारे शरीर छूटने के बाद शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आएं और उसके बाद उनके शरीर संस्थान में प्रशिक्षण करने वाले प्रशिक्षु डाक्टरों के प्रशिक्षण में काम आएं. उन्होंने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद केवल राख का ढेर मात्र रह जाता है।

कर्मकांड और मृत्युभोज न किया जाए – शुभांशु मिश्रा का कहना है कि यदि मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर सौभाग्य की बात क्या हो सकती है. उन्होंने कहा कि देहदान महादान कहा जाता है. इसे महादान की श्रेणी में इसलिए रखा गया है. क्योंकि मृत देह मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षु डाक्टरों के लिए एक साइलेंट टीचर की तरह काम आती है। उन्होंने कहा कि उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, कर्मकांड, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया है

यहां से मिली प्ररेणा- उन्होंने कहा कि देहदान करने की देहदान व अंग प्रत्यारोपण अभियान के लिए चलाए डाक्यूमेंट्री फिल्म से मिली. मिश्रा ने लोगों से भी अपील की है कि मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए आगे आएं

इससे बड़ा पुण्य क्या होगा- शुभांशु मिश्रा ने कहा कि आज मेरा जन्मदिन है. लंबे समय से सोच रखा था कि मरने के बाद शरीर किसी के काम में आए. इसी कारण जन्मदिन के खास मौके अपने शरीर को सिम्स मेडिकल कॉलेज में समर्पित किया है. जिससे यहां आने वाले छात्र मेरे मृत शरीर से अपना ज्ञान प्राप्त कर सकें और दूसरों की जान बचा सकें, इससे बड़ा पुण्य क्या होगा. सभी से यही निवेदन करना चाहूंगा कि ब्लड डोनेट करने पर आप पुण्य कमाते हैं, इसके साथ ही देहदान भी करें ताकि छात्रों को फायदा मिल सके, मृत्यु उपरांत देह दान का विचार उनके मन में विगत एक-दो सालों से आ गया था। अकसर जब वह घर मे आपस में बैठकर बातचीत करते थे तो इस बारे में चर्चा होती थी कि आखिर क्यों लोग मृत्यु के उपरांत न केवल मृत देह को नष्ट कर देते हैं, जबकि यह किसी के काम आ सकती है। लोग सिर्फ मृत देह ही नहीं नष्ट करते, बल्कि मृतक के शरीर के कपड़े, जेवर, बिस्तर आदि तक जला दिया करते हैं। इन सब चीजों से किसी का कोई फायदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि हमें वैदिक सनातन धर्म के लोगों के सिद्धांतों को समझना होगा, जो कि मृत्यु के उपरांत देह नष्ट करने के बजाए उसे किसी सुनसान पहाड़ या पेड़ पर लटका देते हैं, ताकि कोई वन्य जीव उसे खाकर अपनी भूख शांत कर सके। मृत्यु के उपरांत मनुष्य की देह किसी के काम आ जाये इससे बड़ा पुण्य का कार्य कुछ नहीं है। मिश्रा ने कहा कि दुर्भाग्य से आंख, गुर्दे आदि अंग दान की सुविधाएं जांजगीर चाम्पा में नहीं है यदि ऐसा होता तो बहुत अच्छा रहता।

Related Articles