चांपा नगर में भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष के चयन पर जनता की निगाहें, निष्क्रियता से जनता में बड़ी नाराजगी …

जांजगीर-चांपा। चांपा नगर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नगर मंडल अध्यक्ष का चयन कुछ ही दिनों में होने वाला है। इस बार के चयन को लेकर न सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं, बल्कि नगर की जनता की भी उम्मीदें और सवाल बढ़ गए हैं। पिछले दो दशकों से चांपा में भाजपा का नगर मंडल अध्यक्ष पद पर उपस्थिति बेहद निष्क्रिय रही है, जिसका सीधा असर भाजपा की स्थानीय राजनीति पर पड़ा है।
निष्क्रियता से बढ़ी नाराज़गी – पिछले 10 वर्षों में चांपा नगर पालिका पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। इस दौरान नगर की जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन भाजपा के नगर मंडल अध्यक्ष ने न तो प्रभावी विरोध दर्ज कराया, न धरना प्रदर्शन किया, और न ही कोई आंदोलन खड़ा किया। इस निष्क्रियता ने भाजपा समर्थकों और आम जनता के बीच गहरी निराशा उत्पन्न कर दी है।भाजपा का मूल स्वरूप जनसंघर्ष और आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी नही रहा है, लेकिन चांपा में भाजपा की निष्क्रियता के कारण जनता की शिकायतें अनसुनी होती रहीं। सड़क, पानी, सफाई, और बिजली जैसी बुनियादी समस्याओं पर विपक्ष के रूप में भाजपा का नकारात्मक रुख जनता के मन में नाराजगी बढ़ाने का कारण बना है।
युवा नेतृत्व की मांग – इस बार पार्टी द्वारा नगर मंडल अध्यक्ष के पद पर 45 वर्ष तक के युवा नेता को चयनित करने का विचार किया जा रहा है। युवा नेतृत्व को लाने का यह कदम पार्टी की निष्क्रिय छवि को बदलने और जनता में नए जोश का संचार करने के उद्देश्य से लिया जा रहा है। भाजपा का मानना है कि युवा नेता में अधिक ऊर्जा, जुझारूपन और समर्पण की भावना होगी, जो पार्टी को फिर से सक्रिय और मजबूत बना सकती है।चांपा के युवा कार्यकर्ताओं में इस बार पद को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। कई युवा नेता पार्टी की विचारधारा और संगठन के प्रति निष्ठा दिखाते हुए इस पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनके अनुसार अगर नगर मंडल अध्यक्ष पद पर कोई ऊर्जावान और सक्रिय युवा आता है तो वह चांपा में भाजपा की स्थिति को फिर से मजबूत कर सकता है।
निकाय चुनावों की चुनौती – कुछ ही महीनों में नगरीय निकाय चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में भाजपा के लिए नगर मंडल अध्यक्ष का सही चयन करना बेहद महत्वपूर्ण है। वर्तमान में चांपा की जनता भाजपा से निराश है, इसलिए पार्टी को इस बार ऐसा चेहरा चाहिए, जो जनता की नाराजगी को दूर कर सके और पार्टी को फिर से मजबूती दे।अगर भाजपा को नगर निकाय चुनावों में सफलता पानी है, तो नए नगर मंडल अध्यक्ष को जनता के मुद्दों पर मुखर होना होगा। कांग्रेस सरकार के खिलाफ सटीक और प्रभावी विरोध दर्ज कराना होगा और धरातल पर जाकर लोगों की समस्याओं का समाधान करना होगा।
संगठन के लिए पुनर्जागरण की आवश्यकता – भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं का मानना है कि संगठन में एक तरह से “पुनर्जागरण” की जरूरत है। भाजपा को न सिर्फ चुनावी रणनीतियों पर ध्यान देना होगा, बल्कि कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय और संगठन को मजबूत करना भी प्राथमिकता बनाना होगा।युवा नगर मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद अगर भाजपा स्थानीय स्तर पर सक्रिय हो जाती है और जनता के मुद्दों पर संघर्ष करती है, तो न सिर्फ पार्टी की खोई हुई साख लौट सकती है, बल्कि आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद भी की जा सकती है।चांपा में भाजपा के लिए यह समय आत्ममंथन का है। अगर सही नेतृत्व और सक्रिय रणनीति अपनाई जाती है, तो पार्टी फिर से नगर की जनता का विश्वास जीत सकती है।