छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा

खुद को लुटाकर सवारीं औरों की जिंदगी, परिवार के सहयोग एवं पुश्तैनी साढ़े तीन एकड़ भूमि बेचकर संस्थान का संचालन एवं बेशकीमती भूमि दान कर उसमें बनाया करोड़ों का भवन…

0 तिलक सेवा संस्थान की 9वीं स्थापना दिवस पर विशेष…

जांजगीर-चांपा। दूसरों को तकलीफ में देखकर यदि किसी के मन में पीड़ा हो और उसकी मदद के लिए कोई भी हद पार कर दे तो उसे आप क्या कहेंगे। दीन-दुखियों की सेवा के प्रति ऐसी दीवानगी विरले ही देखने को मिलता है। हम बात कर रहे हैं अफरीद गांव के उस शख्स की, जिन्होंने जनसेवा के लिए अपनी साढ़े तीन एकड़ पुश्तैनी जमीन ही बेच दी। इतना ही नहीं, उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी बेशकीमती जमीन को न केवल दान में दिया, बल्कि उस भूमि में करोड़ों रुपए का भवन बनाकर अभी जरूरतमंद 30 से अधिक बच्चों को तालीम देने के अलावा उनका आवास, भोजन, चिकित्सा सहित सर्वांगीण विकास का वीणा उन्होंने उठाया है।

बम्हनीडीह विकासखंड अंतर्गत ग्राम अफरीद में शिक्षक गौरीशंकर राठौर के यहां 8 मई 1981 में जन्मे केशव सिंह राठौर ने अपनी शिक्षा स्थानीय स्तर पर पूरी की, उन्होंने बायोलॉजी विषय लेकर बीएससी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने गांव में ही इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान, डी जे साउंड सर्विस, ट्रांसपोर्ट एवं ईंट भट्ठा का व्यवसाय शुरू किया, व्यवसाय में अच्छी सफलता मिली लेकिन उनका मन व्यवसाय में नहीं लगा, आपकों बता दें कि उनके परदादा स्व. तिलक साव राठौर अंचल के प्रसिद्ध धार्मिक समाजसेवी रहे हैं, गांव में मंदिरों का निर्माण एवं शिक्षा हेतु गाँव के लगभग स्कूल उन्हीं के प्रयास से प्रारंभ हुए, उनके समाजसेवा के प्रति समर्पण भाव की चर्चा आज भी लोगों में होती रहती है। इससे प्रेरित होकर केशव ने भी दीन दुखियों की सेवा करने का न केवल संकल्प लिया, बल्कि एक प्रकार से अपनी पूरी जिंदगी सेवा के नाम लिख दिया। उन्होंने आठ साल पहले 14 जनवरी 2015 को तिलक सेवा संस्थान की स्थापना की। उस समय संस्थान में केशव के अलावा छतराम सिंह राठौर व लगनसाय बरेठ ही थे, लेकिन लगातार सामाजिक गतिविधि के कारण आज संस्थान में दर्जनों लोग आ गए हैं। अहम बात यह है कि संस्थान प्रारंभ करने उनके समक्ष सबसे बड़ी समस्या धन की थी। ऐसे में उन्होंने पहले अपनी साढ़े तीन एकड़ पुश्तैनी जमीन को ही बेच दी। शुरू में केशव ने ढाई एकड़ जमीन बेचकर संस्थान की स्थापना की। वहीं बाद में फिर एक एकड़ भूमि सरकार के फोरलेन सड़क में निकल गई। ऐसे में केशव ने मुआवजे के तौर पर मिली राशि को भी संस्थान में लगा दिया। इसके अलावा उन्होंने फोरलेन से लगी बेशकीमती भूमि को न केवल दान दिया, बल्कि उसमें करोड़ों का भवन बनाकर अभी जरूरतमंद दो दर्जन से अधिक बच्चों का लालन पालन कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस कार्य में उनके माता-पिता भाई बहन उनकी पत्नी समेत उनके पूरे परिवार का सहयोग मिला, जिसके चलते यह कठिन कार्य संभव हो पाया। उन्होंने इस सेवा कार्य के लिए करोड़ों रुपए गंवा दिया, लेकिन कभी भी शासकीय मदद नहीं ली। अभी भी दूसरों की सेवा के प्रति उनका मनोबल कम नहीं हुआ है। उन्होंने कोरोना संकट के समय संस्थान के जरिए जरूरतमंद लोगों के घरों तक सूखा राशन एवं स्टेशनों मंदिरों के सामने बैठे लोगों को भोजन मुहैया कराया, तो वहीं निर्धन कन्याओं के विवाह में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता, इन सेवाओं के बावजूद केशव सिंह द्वारा अलग अलग गावों में जाकर महिला सशक्तिकरण एवं बच्चो को संस्कारवान बनाने के साथ साथ लोगो को धर्म एवं संस्कृति से जोड़ने के लिए धर्म सभाओं का आयोजन कराते हैं, इतना ही नहीं, जरूरत के समय किसी भी प्रकार की सेवा के लिए केशव सदैव तत्पर रहते हैं।

संस्थान का उद्देश्य
संस्था का मुख्य उद्देश्य निर्धन, असहाय बच्चों व वृद्धजनों के लिए आश्रम का संचालन करना, विधवा व परित्यकता महिलाओं के लिए आश्रम की व्यवस्था कर उनके लिए गृह उद्योगों की व्यवस्था के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर करना, मां सेवार्थ गौशाला का संचालन करना, निर्धन कन्याओं का विवाह कराना, शासन की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को संस्था के माध्यम से क्रियान्वयन करने के लिए प्रयासरत, निःशुल्क गुरूकुल विद्यालय का संचालन, किसी भी प्रकार से पीड़ितों को उचित मार्गदर्शन सहायता प्रदान करना आदि है। वर्तमान में आश्रम में जरूरतमंद बच्चों को आवास, भोजन, कपड़े, शिक्षा, मेडिकल के अलावा सभी सुविधाएं दी जा रही है। अपने उल्लेखनीय कार्य के लिए इस संस्थान को अनेक पुरस्कार भी मिल चुका है।

केशव का संदेश
केशव लोगों को संदेश देते हुए कहते हैं समाज मे रहने वाले जरूरतमंदों की मदद करना समाज का कार्य ही है और इस कार्य में समाज के लोगों को आगे आना चाहिए। संसार के सभी मनुष्य को भगवान ने ही यहां भेजा है। और यहां यदि कोई अभाव में जी रहा है लेकिन सामने वाला सक्षम है तो उसे उसका सहयोग करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। इसी उद्देश्य को लेकर संस्थान की स्थापना की गई है। संस्था द्वारा निःशुल्क गुरूकुल विद्यालय संचालित है, यहां बच्चों की उच्च स्तरीय शिक्षा के साथ साथ भारतीय संस्कृति के अनुरूप संस्कारित जीवन जीने के लिए शिक्षा प्रदान की जा रही है।

केशव का परिचय
नाम – केशव सिंह राठौर
माता . जयंती देवी राठौर
पिता – गौरीशंकर राठौर (प्रधानपाठक)
जन्म तिथि 8 मई 1981


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