जांजगीर। पेंड्रीभाठा में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा में श्रद्धालु भक्तों का उत्साह चरम पर रहा। व्यासपीठ पर आसीन भागवत आचार्य पं. मनोज पांडेय ने अपने प्रवचनों से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान की, जबकि भागवत परायणकर्ता पं. अंशुमान मिश्रा ने कथा पाठ किया।
व्यासपीठ से गजेंद्र मोक्ष कथा का सुंदर वर्णन करते हुए पं. मनोज पांडेय जी ने कहा कि गजेंद्र (हाथी) जीव का प्रतीक है, जबकि मगरमच्छ काल का। भवसागर में जब जीव काल के चंगुल में फंस जाता है, तब वह भगवान को पुकारता है और भगवान अपनी कृपा से उसकी रक्षा करते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया कि जीवन में हमें भगवान को और मृत्यु को कभी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि काल रूपी मगरमच्छ हर समय घात लगाए बैठा है।
भगवान वामन अवतार की कथा का उल्लेख करते हुए उन्होंने उपनयन संस्कार का महत्व भी बताया। उन्होंने कहा कि जन्म के समय हमें दो नेत्र मिलते हैं, लेकिन गुरु उपनयन संस्कार के माध्यम से एक नई दृष्टि प्रदान करते हैं, जिससे हम धर्मग्रंथों का सही अर्थ समझ पाते हैं। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में ली और बदले में स्वयं को भी समर्पित कर दिया। यह भगवान की महान कृपा थी, छल नहीं।
कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
इस भव्य आयोजन में मुख्य यजमान महेश्वर प्रसाद पांडेय अपने परिवार व रिश्तेदारों के साथ उपस्थित रहे। क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुंचे और भक्तिमय वातावरण में डूब गए।कथा समापन पर भक्तों को आशीर्वाद एवं प्रसाद वितरण किया गया। यह आयोजन संपूर्ण क्षेत्र में भक्ति और आध्यात्मिकता की भावना को जागृत करने में सफल रहा।