
चांपा। प्राचीनतम देव स्थल, प्रसिद्ध जगन्नाथ मठ मंदिर, ब्रह्मण पारा, चांपा में स्वर्गीय लक्ष्मी प्रसाद तिवारी की स्मृति में तिवारी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महापुराण के पंचम दिवस का भव्य आयोजन श्रद्धा और भक्ति के भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति रही।
गौरव ग्राम सिवनी से पधारे युवा एवं विद्वान कथा वाचक पं. अंशुमान मिश्रा शास्त्री ने व्यासपीठ से अपने ओजस्वी संस्कृत श्लोकों एवं प्रेरणास्पद प्रवचनों के माध्यम से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
पंचम दिवस के प्रमुख प्रसंग में शास्त्री ने प्रथम पूज्य गणेश जी के अग्रपूजन के रहस्य का सुंदर एवं प्रभावी वर्णन किया। उन्होंने बताया कि महर्षि दुर्वासा द्वारा विशेष माला में अग्रपूजन का प्रभाव स्थापित किया गया था, जो घटनाक्रम के अनुसार एक हाथी के मस्तक पर जा पहुँची। बाद में भगवान शिव ने गणेश जी के कटे हुए शीश के स्थान पर उसी हाथी का मस्तक स्थापित किया, जिससे गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस प्रसंग के माध्यम से शास्त्री जी ने अभिमान त्याग, प्रसाद की मर्यादा और भगवान के प्रति श्रद्धा के महत्व को बड़े ही सरल एवं भावपूर्ण शब्दों में प्रस्तुत किया।
शास्त्री जी ने भागवत कथा के अन्य प्रसंगों के माध्यम से धर्म, श्रद्धा और विवेक के समुचित विकास की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला और बताया कि यही तत्व मनुष्य को ईश्वर से जोड़ते हैं तथा आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
कथा के समापन पर भगवान श्रीकृष्ण की आरती का भव्य आयोजन हुआ और उपस्थित भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। संपूर्ण वातावरण ‘श्रीकृष्ण नाम’ के संकीर्तन से गूंज उठा।
आयोजन में परायणकर्ता पं. पवन तिवारी, मुख्य यजमान श्रीमती धात्री धीरज तिवारी, माताजी, अजय तिवारी, छोटे तिवारी सहित समस्त तिवारी परिवार एवं रिश्तेदारगण तथा मठ मंदिर, राजापारा सहित आसपास के ग्रामों से आए श्रद्धालु भारी संख्या में उपस्थित होकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।