करोडों खर्च करने के बावजूद रामबांधा तालाब बना कूड़ेदान, साफ-सफाई के अभाव में चांपा के सभी निस्तारी तालाबों की स्थिति दयनीय …

चांपा। कभी रामबांधा तालाब शहर की जीवनदायिनी हुआ करता था लेकिन अभी गंदगी और कचरा डंप करने का सुलभ स्थल के रूप में उपयोग हो रहा है। पिछले कार्यकाल के आखिर में लाखों की लागत से गहरीकरण कराया गया था, जबकि उसके पूर्व करीब 8 करोड़ से अधिक की लागत से सौन्दर्यीकरण किया गया था। लेकिन सीएमओ और इंजीनियर की लापरवाही से खुद रामबांधा तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
राजस्व रिकार्ड में करीब 99 एकड़ क्षेत्रफल में फैला रामबांधा तालाब शहर का ऐतिहासिक वह तालाब हैं जो लोगों के निस्तार का बहुत बड़ा स्रोत है। तालाब के चारों ओर बड़ी संख्या में लोग निस्तार के लिए तालाब का उपयोग कई दशकों से कर रहे है।पिछले कार्यकाल में करोड़ों की लागत से तालाब का गहरीकरण और सौन्दर्यीकरण कराया गया था। लेकिन नगरपालिका सीएमओ और इंजीनियर की लापरवाही से तालाब उपयोग करने लायक नही रह गया है।शहर में तालाब के विभिन्न घाटों का जायजा लेने पर पता चला कि चुनिंदा कुछ घाटों में कचरों का ढेर दिखा। हालांकि तालाब चारों ओर जलकुंभी और कचरों से अट गया है। तालाब के पानी से बदबू आ रहा है। यहां से गुजरना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में तालाब का यह दूषित पानी उपयोग करने लायक नही रह गया है। इस पानी का उपयोग निस्तार करने से चर्म रोग की समस्या उत्पन्न होने से इंकार नही किया जा सकता। इधर नगर पालिका सीएमओ और इंजीनियर भी कुम्भकर्ण की गहरी निद्रा में है।उन्हें जनता का दुख दर्द दिखाई और सुनाई देना बन्द कर दिया है। फिर जनता अपनी समस्या लेकर किसके पास जाए।

कूड़ेदान बन गया रामबांधा तालाब – पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राजेश अग्रवाल का कहना है पिछले कार्यकाल में रामबांधा तालाब का गहरीकरण और सौन्दर्यीकरण के लिए 8 करोड़ से भी अधिक राशि से काम कराया गया था। रामबांधा तालाब के कायाकल्प के लिए रायपुर तक दौड़ लगाई गई थी। काफी मशक्कत के बाद बजट सेंशन कराया गया था, लेकिन उनकी मेहनत नगर पालिका सीएमओ की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। अभी आलम यह है, पूरा तालाब कूड़ेदान बन गया है। उन्होंने कहा भाजपा के शासनकाल में चांपा का विकास ठहर गया है, जिसे गति देने सीएमओ खुद गंभीर नहीं है। उन्होंने तालाब की नियमित सफाई करने की मांग कड़े शब्दों में मांग की है।
चांपा के सभी निस्तारी तालाबों की स्थिति दयनीय – चांपा शहर में रामबांधा के साथ लच्छीबंध तालाब, मंझली तालाब सहित अन्य तालाबों का बुरा हाल है। ज्यादातर तालाब तो उपयोग करने लायक नहीं रह गए हैं, तो वहीं जो निस्तार तालाब बच गए हैं, उन्हें भी सहेजने नगर पालिका का कोई ध्यान नहीं है। हालांकि नगर पालिका में नियमित और प्लेसमेंट सहित भारी भरकम स्टाफ है, जिन्हें हर माह सैलरी के तौर पर लाखों रुपए खर्च किया जाता है, लेकिन धरातल पर उनका काम लोगों को समझ में नहीं आ रहा है। नगर पालिका सीएमओ भी कर्मचारियों को जिम्मेदारी देकर अपना इतिश्री कर ले रहे हैं, जबकि कार्य में लापरवाही बरतने वाले किसी भी कर्मचारी के खिलाफ सीएमओ द्वारा कड़ी कार्रवाई किए जाने की खबर अब तक सामने नहीं आई है। इससे समझा जा सकता है कि सीएमओ की लापरवाही किस कदर जनता पर भारी पड़ रही है।